देवी-देवता मानव-तन पाने के लिए तरसते रहते हैं।
गुरु की दया का प्रत्यक्ष फल यह है कि तुम में अपने जीवन की कदर हो और अन्तर में नेत्र खुलें। शब्द...
Read out allमनुष्य चाहता क्या है? वह चाहता है धन दौलत, महल, हवेली, साजो-सामान, नाचरंग की। महफिलें, ऐश और आराम का जीवन।
गुरु-शिष्य संवादप्रश्नः स्वामी जी ! प्रायः देखा जाता है कि कुछ | दिन सत्संग में रहकर पूरे गुरु को सेवक क्यों छोड़कर...
Read out allवक्त बड़ा खराब है। बड़े-बड़े लोग धीरज तोड़ देंगे। तुम अपने विश्वास को बनाये रखो।
यह घनघोर कलियुग है। कलियुग में सतयुग हजारों वर्षों के लिए आयेगा । कलियुग बदलने और सतयुग आने के समय क्या होगा,...
Read out allमन की भागदौड़ तभी बन्द होगी, जब नाम प्रकट होगा।
मैं सन् 75 के पहले से कह रहा हूँ, ऐसी बीमारियाँ फैलेंगी, जिन्हें कोई समझ भी नहीं पायेगा । ॥ एक रुपये...
Read out allहमारे दिमाग में बहुत से नियम हैं। अगर सब बता दूँ तो सब लोग नकल करने लग जायेंगे कुछ तो अभी से नकल करने की तैयारी में हैं।
बता दे, हमें अन्तर में ले चले। वह दोनों काम करे। “लिये खेप है। यह मनुष्य तन जा रहा है। अबकी ।...
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बड़ा भारी दुःख होता है। बिना गुरु के यह गति पाई जाती है।
खड़ग पत्तों के रूप में व्याप्त है। वहाँ गिराया हुआ पापी खड़ग की धार के समान पत्तों द्वारा ॥ क्षत-विक्षत हो जाता...
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