बाबा जयगुरूदेव की गूँजती वाणियाँ
उतना बताता हूँ, जितना कर सको
मैं कोई ऐसा आदेश नहीं दिया करता हूँ कि आपकी क्षमता में ना हो। मैं तो वही आदेश देता हूँ, जो आप कर सको। लौकिक हो या पारलौकिक दोनों तरफ आपकी क्षमता के अनुसार ही आदेश दिया जाता है। बोलने में, साधना में उतना ही कहता हूँ, बताता हूँ, बोलता हूँ, जितना तुम कर सको। मैंने साधना में 10 मिनट, बीस मिनट और आधा घण्टा रखा है। मैं तो चाहता हूँ कि इधर भी आपकी उन्नति हो और उधर भी
मेले में भूलकर भी अँगुली छोड़ दोगे, तो फिर तुम्हारे लिए मुश्किल हो जायेगी। चुंगी घर खत्म होंगे
शहर व कस्बों में जो जगह-जगह बेकार के चुंगी घर बने हुए हैं, भविष्य में वे सब समाप्त कर दिए । जायेंगे ।
नकल मत करना
तुम मेरी नकल मत करना । नकल करोगे तो मार खानी पड़ेगी। यह मेरी धार जो काम कर रही है, इसके सामने जो भी आयेगा, कट जायेगा । वाक गलती नहीं करेंगे
| आपकी उन्नति हो। मैं तो आपको दोनों तरफ से उन्नति
॥ और लाभ का वादा कर रहा हूँ।
बाबा जी के हाथों में क्या है
आपको क्या पता है कि बाबा जी के हाथों में क्या है? जाहिर में तो कुछ नहीं, लेकिन जिसके ऊपर हाथ रख दिया जाता है, वही समझता है। चाह ही नहीं है शब्द की कमाई से हार गये; दुनियावी कमाई में लग गये। सुरत-शब्द की साधना में तो लगे रहते हैं, । लेकिन पूरी तरह ताकत नहीं लगाते। कमाई ऐसी करो, जिससे पार चले जाओ। घर जाने की तैयारी नहीं। कोई घर जाने के लिए नहीं चीख रहा। परमात्मा को प्राप्त करने की तुमको चाह ही नहीं है। अपना रोना यही है हम जोर देकर आपसे कह रहे हैं, एक बार मेहनत कर लो। दरवाजे पर बैठकर हम अपनी जीवात्मा को जगायें। इस पर तो कोई जोर देता नहीं। तू झूठी बात करता है। अपना तो रोना ही यही है। आप कुछ करते नहीं हो। बाँह पकड़ा दो वे बच्चे जिन्हें परमात्मा ने सृष्टि को सुधारने के लिए भेजा है। उन्हें बाबा जी को छोड़कर और कोई ॥ भी नहीं जानता है। बाबा जी यह गलती नहीं करेंगे कि उनके नाम और पहचान आपको बता दें और आप गोलियाँ चलाने लगेंगे। परिवर्तन सत्संग से होगा जो भी परिवर्तन होगा, वह सत्संग से होगा सत्संग करते-करते मैं परिवर्तन कर दूँगा । युग को देखेंगे मैं पागल नहीं हूँ, खूब सचेत हूँ। आगे का सब ॥ कुछ देख रहा हूँ। उसे आप नहीं देख रहे हैं। न जान रहे हैं। युग परिवर्तन होने जा रहा है। सतयुग आ रहा है, कुछ वर्षों की देर है। अगर आपकी आयु छोटी न रही। तो आप भी उस युग को देखेंगे। भण्डारा 1980 बड़ी चीज माँगा करो आप हमसे छोटी-छोटी चीजें मत माँगा करो।। बड़ी चीज माँगा करो। पानी बरसाना, यह सब छोटा काम है। यह काम तो छोटे-छोटे बच्चे खड़े होकर ऊपर इशारा कर देंगे तो पानी बरस जायेगा। हम वही । बाँह पकड़ा दोगे तो वह कभी भी नहीं छोड़ते हैं। लेकिन काम करेंगे, जिसमें आपका लाभ और हित हो, कल्याण-
तुम गुरु को अपनी बाँह पकड़ा दो। तुम अपनी। अगर तुम उनकी अँगुली पकड़ लोगे तो इस दुनिया के हो।
दूब की तरह छोटे बन जाओ, कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता।
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