खड़ग पत्तों के रूप में व्याप्त है। वहाँ गिराया हुआ पापी खड़ग की धार के समान पत्तों द्वारा ॥ क्षत-विक्षत हो जाता है। उसके शरीर में सैकड़ों घाव हो जाते हैं। मित्रघाती मनुष्य को उसमें एक | कल्प तक रखकर काटा जाता है। उसकी पीड़ा खतरनाक है। करम्भबालुका नामक नर्क
करम्भबालुका नामक नर्क दस हजार योजन विस्तृत है। करम्भबालुका नर्क का आकार कूयें की तरह है। उसमें जलती हुई बालू अंगारे और काँटे भरे हुए हैं, जो भयंकर उत्पातों द्वारा किसी | मनुष्य को जला देता है या निरपराध अपने तामस -बुद्धि में आकर नुकसान पहुँचा देता है। बिना विचारे जीव की हिंसा करता है, जिसका शरीर अपने खड़ग से काट कर उधेड़ देता है और काटते वक्त । उसे दर्द नहीं होता, ऐसे मनुष्य इस नर्क में डाले जाते हैं और एक लाख दस हजार तीन सौ वर्षों तक उन्हें जलाया जाता है और शूल मारे जाते हैं। बड़ा भारी दुःख होता है। बिना गुरु के यह गति पाई जाती है।
काककोल नामक नर्क कीड़ों और पीप से भरा रहता है, जो दुष्टात्मा दूसरों को न देकर अकेला ही मिष्ठान्न उड़ाता है, वह उसी में गिराया
जाता है। जो किसी के हक को अपनी जिव्हा के स्वाद हेतु छीन लेता है, उसको इसी नर्क में डाला जाता है । कुडमल नामक नर्क कुडमल नामक नर्क विष्ठा, मूत्र और रक्त से भरा होता है। जो लोग पंच आगों का अनुष्ठान नहीं करते यानी पांच इन्द्रियों का दमन नहीं करते, I वे इसी नर्क में गिराये जाते हैं। महाभीम नामक नर्क और रक्त से पूर्ण है। अभक्ष्य भक्षण करने वाले नीच मनुष्य उसमें गिरते हैं और उनके नाक, मुँह, कान, I आँख में पीप भरा रहता है। हर अंग से दुर्गन्ध आती है।
महावट नामक नर्क मुर्दों से भरा होता है। और उसी में चीखने-रोने और हाय-हाय करने की आवाजें आती हैं। वह बहुत कीटों से व्याप्त रहता है। जो मनुष्य अपनी कन्या बेचते हैं, वह नीचे मुँह करके उसी में गिराये जाते हैं। तिलपाक नामक नर्क
तिलपाक नामक नर्क प्रसिद्ध है। तिलपाक नर्क बहुत ही भयंकर है। जो लोग दूसरों को पीड़ा देते हैं, वह उसमें तिल की भाँति पेरे जाते हैं।
तेलपाक नामक नर्क में खौलता हुआ तेल भूमि पर गिरता रहता है। जो मित्र तथा शरणागत की ! हत्या करते हैं, वे उसी में पकाये जाते हैं।
बज्रकपाट नामक नर्क बज्रमय है। बज्रकपाट नर्क बहुत दुःखपूर्ण है, जिसमें शिलायें जलती रहती । हैं। जिन व्यवसायियों ने धोखा दिया, वह लोग इन्हीं शिलाओं के साथ बाँधे जाते हैं। निःच्छवास नामक नर्क
निःच्छवास नर्क अन्धकार से पूर्ण और वायु से रहित निःच्छवास नामक नर्क अन्धकारपूर्ण है ।। है। जो किसी अतिथि अथवा साध सेवी ब्राह्मण के । दान में रुकावट डालता है, वह निष्चेष्ठ करके उसमें डाला जाता है।
महाभीम नर्क अत्यन्त दुर्गन्धयुक्त तथा माँस
अंगारोपमय नामक नर्क दहकते अंगारों से पूर्ण है। जो लोग दान देने की प्रतिज्ञा करके साधु, नर्क में जलाये जाते हैं। -क्रमशः अगले अंक में ! सन्त, ब्राह्मण और अतिथि को नहीं देते हैं, वे उसी कुदरत सबक सिखाने को तैयार खड़ी है, अपना-अपना सुधार कर लो।