यह घनघोर कलियुग है। कलियुग में सतयुग हजारों वर्षों के लिए आयेगा । कलियुग बदलने और सतयुग आने के समय क्या होगा, आप – समझें सतयुग बीतने के समय शिव जी का ” आवाहन किया गया। क्या हुआ आप जानते हैं ? Iत्रेता में राम ने शिव का आह्वान किया तो बड़े-बड़े राष्ट्र खत्म हो गये और कोल-भीलों ने क्या कर डाला ? द्वापर में कृष्ण ने शिव का आहवान किया तो महाभारत के मैदान में करोड़ों लोग खत्म हो गये। फिर शिव का आहवान हो रहा है। तात्पर्य आप समझें । मैं हर चीज आपके सामने इशारों में लाकर खड़ा कर दूँगा ।
इस मंच से जो कहूँगा, होगा बाबा जी इस मंच से जो कहेंगे, अवश्य होगा।
31 अक्टूबर बीत गया। कुछ होने वाला है। क्या होगा ? । यह नहीं बताऊँगा । क्यों नहीं बताऊँगा ?
मैंने पहले बता दिया कि 76 के बाद यह हो जायेगा, तो मुझे 21 महीने जेल में रखा गया, बेड़ियाँ भी डाली गईं और हथकड़ी भी पहनाई गई। मुझे रोज यह सुनाया जाता था कि इन्हें शूली पर लटका दिया जायेगा ॥ ईसा ने भविष्य की बात बताई तो उन्हें कीलें ठोक दी गईं। मुहम्मद को मक्का से मदीना जाना पड़ा और मुरीदों को मार दिया गया। गुरु तेग बहादुर का चाँदनी ॥ चौक पर सिर उड़ा दिया गया। और सम्शतमरेज की खाल खींच ली गई तथा गुरु गोविन्द सिंह के बच्चों को जिन्दा दीवालों में चुन दिया गया। ! क्या आप बचायेंगे ?
अगर मैं बता दूँ तो क्या आप इनको बचायेंगे ? इमरजेंसी में जब 15-20 हजार लोगों को जेलों में यातनायें दी गईं। तो क्या आपने नहीं देखा, इनके साथ क्या किया गया? ऐसी-ऐसी लाठियाँ मारी गई कि उनके निशान अभी भी पड़े हुए हैं। – हाथ, दो हाथ की बालें
तो सतयुग आयेगा ढिंढोरा पीटता हुआ आयेगा।
जिन पेड़ों पर फल नहीं लगते, उन पर फल लगने शोर मचाता हुआ आयेगा। उसकी क्या पहचान होगी ? । लगेंगे। एक बीघे में सौ मन धान या गेहूँ पैदा होगा। सामने फेंक देंगे, तब मान लेना। बाजरे की बालें इतनी धान की बालें एक हाथ की होंगी। जब लाकर तुम्हारे ॥ बड़ी (हाथ की उंगली से हाथ के पहुचें तक) होंगी और दाने से ठसाठस भरी होंगी। गरीबी दूर हो जायेगी किसान के 4 बीघे खेत में 400 मन गल्ला पैदा होगा। 150 मंन खायेगा, 350 मन फाजिल होगा। गरीबों की औरतें सोने-चाँदी, हीरे-जवाहरात से ढकी होंगी आज जैसे इनके शरीर कपड़े से ढके हैं। फिर गरीबी दूर ॥ हो जायेगी। ये हीरे-जवाहरात यहीं भारत में हैं। परन्तु फरिश्तों ने उन्हें लुप्त कर दिया है। ये प्रकट हो जायेंगे। पहले मुसलमान क्या करते थे ?
पहले मुसलमान आये तो हीरे-जवाहरात बेचा करते थे और खुशहाल रहते थे। ऐ मुसलमानों! खुदा ॥ आपके नापाक कारनामों से नाराज हो गया। उसने नीयत खराब होने से बरक्कत खींच ली और आज आप क्या करते हैं ? गाँव-गाँव में देवियों को चूड़ियाँ पहनाते ॥ हैं तथा अल्यूमीनियम के बरतन बेचते हैं। सब धर्मों का इशारा ईसा मसीह ने कहा था- मैं जा रहा हूँ। तुम लोग गरीबों की सेवा करना, मैं फिर आऊँगा। मुसलमानों की पुस्तकों में लिखा है कि चौदहवीं सदी के अन्त में क्या होगा ? हिन्दुओं की पुस्तकों में भी लिखा है कि जब धर्म की हानि होगी तो ईश्वर खुद आयेगा और सज्जनों की रक्षा तथा धर्म की स्थापना करेगा। जीवन का सार मानव जीवन का सार है भजन । आत्मा को भगवान के नाम पर, शब्द पर बैठा देना और ऊपर मण्डलों में भेजना। मनुष्य का पहला जन्म है शरीर का जन्म। आत्मा को शरीर के बाहर निकालकर पुन: शरीर में प्रवेश करा देना। मैं आपको यह दौलत देने आया हूँ, I जिससे आपको नजात और बहिस्त, मोक्ष और स्वर्ग की प्राप्ति हो ।
वक्त बड़ा खराब है। बड़े-बड़े लोग धीरज तोड़ देंगे। तुम अपने विश्वास को बनाये रखो। जब चारों तरफ से परेशानियों और तूफानों की आँधी उठेगी तो कोई नहीं रह सकेगा। यह अवश्य है कि जो | अपने विश्वास पर अटल रहेगा, गुरु वचनों को हमेशा याद करता रहेगा और चाहे जैसे भी एक घण्टा समय साधना में देता रहेगा, वह आँधी, तूफान झेल जायेगा। सच बात ये है कि परमार्थी विचार के लोग ही समय की भयंकरता को झेल सकते हैं। कच्चे 1 और डाँवाडोल तो जरा में हिल जाते हैं मन काबू में नहीं होता तो रो पड़ो। तुम I कभी रोये ? संसार के लिए तो बहुत रोते हो, उसके लिए एक आँसू भी नहीं ।
मेरे सामने भजन कर लो। मेहनत कम, -मजदूरी ज्यादा। जल्दी का काम शैतान का होता है। | इसलिए किसी भी काम में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। महात्मा सबकी नस पकड़े रहते हैं। उनके सामने तुम्हारे सभी हथकण्डे और तुम्हारी सारी फितरतें नाकामयाब हो जायेंगी।
धर्मराय के दरबार में जब तुमसे पूछा जायेगा कि तुम्हें मृत्युलोक में किसी ने समझाया नहीं था कि 1 अंडा, शराब, माँस खाना-पीना, आन्दोलन, हड़ताल, तोड़फोड़, कत्ल, चोरी, झूठ यह सब पाप कर्म हैं ● और बन्दे ! अगर तुमने यह कह दिया कि नहीं तो मैं वह बाबा हूँ कि तत्तक्षण वहीं प्रकट होकर यह बता दूँगा कि किस स्थान पर, किस घड़ी में मैंने इनको समझाया था ।
यह सत्संग होश का मंच है, कोई बेहोशी का मंच नहीं। हमारी बात याद रखिये कि इस मंच पर बैठकर मैं जो कुछ भी बोलूँगा, वह कटने वाला अनमोल वचननहीं। मैं जो कुछ भी कहता हूँ, वह सब होने वाला है। न होने वाली कोई बात नहीं।
मालिक हमारे रोने को कभी बर्दाश्त नहीं । कर सकता। जब भी आत्मवेदना होगी, वह कभी ! एक मिनट भी बर्दाश्त नहीं कर सकता । जाता है।
तड़प में वह शक्ति है कि आसमान भी फट दरवाजे पर बैठोगे, तड़प होगी, विरह होगी, X तब सुनवाई हो जायेगी, लेकिन जिसको लगन लगी होती है, चाह होती है, तड़प होती है, उसको नींद नहीं ! आती सोचो, विचार करो कि यदि किसी माँ का I बेटा गुजर जाय तो वह अपने बेटे के लिए कितनी तड़पती है। ऐसी तड़प यदि अपने मालिक को पाने । के लिए पैदा हो जाय तो देरी क्या लगती है?
मालिक को पाने के लिए जो-जो रोये दरवाजे ॥ पर बैठकर, उन सबको मिला। सुरत की आँखों से रोवो, जैसे बाहर की आँखों से रोते हो।
कभी विवाद में मत पड़ो। इससे तुम्हारा दिल-दिमाग ठण्डा रहेगा। सत्संग सचेत होकर सुनो।
आजकल चारों तरफ एक ज्वाला जल रही है। सबका खानपान बिगड़ गया, बोल-चाल बिगड़ गया, देखना-सुनना बिगड़ गया और शराब का चलन ऐसा हो गया कि बच्चे-बच्चियाँ भी उससे अछूते नहीं रहे। सबकी बुद्धि नष्ट हो गई। चाहे परिवार हो, समाज हो, जाति-बिरादरी हो । बड़े। बुजुर्गों का सम्मान खत्म हो गया। सर्व मर्यादायें। समाप्त हो गईं। ऐसे सुख-चैन आपको कहाँ मिलेगा ?
आपको फिर वापस अपनी जगह पर लौटना । है। आप दूसरों का सम्मान करेंगे तो लोग आपका सम्मान करेंगे। ईमानदारी, मेहनत यह हमारा धर्म सन्त आवैं दया बरसाने, मगर कोई न पहिचाने ।