अच्छे संस्कार का असर
कुछ समय पहले की बात है। एक माता-पिता ने | अपनी कन्या के लिए बड़ी मेहनत करके एक वर खोजा और बात पक्की हो गई। जब रिश्ता तय हो गया तो किसी आदमी ने लड़की के पिता को बताया कि जहाँ आपने रिश्ता ॥ तय किया है, वहाँ लड़के की माँ बहुत खराब है। वह बड़ी लड़ाका है। आपकी बिटिया को वहाँ पानी पीना और जीना हराम हो जायेगा। आप रिश्ता कहीं और देख लीजिए। ■ लड़की के पिता ने गाँव के 10-20 लोगों से भी इस बारे में, बात की जानकारी ली तो बात एकदम सच निकली।
अब लड़की के माता-पिता बहुत चिंतित हो गये। रात में पति-पत्नी दोनों आपस में बातें कर रहे थे कि लड़की के लिए वर कितनी मेहनत से खोजा। अब जो खबर मिल रही है, उससे तो लड़की का जीवन दुःखमय हो जायेगा । अब दूसरा घर खोजना पड़ेगा। इस बात की भनक जब लड़की को लगी तो सुबह उठने पर उसने माता-पिता से कहा कि आप सब हमारी शादी उसी घर में कीजिए। आप किसी प्रकार की चिन्ता न करें। क्योंकि बात फैल गई है। नातेदार, रिश्तेदार सब जान गये हैं। रिश्ता टूटने पर बड़ी ॥ बदनामी होगी। जो हमारे भाग्य में होगा, उसे कौन मिटा देगा ? आखिर आप सबने भी तो हमको कुछ सिखाया है। जो भाग्य में बदा होगा, उसे कोई नहीं बदल सकता। वह मालिक अपनी दया से सब ठीक कर देगा।
लड़की के अनुरोध करने पर माँ-बाप ने उसकी ॥ शादी उसी घर में कर दी। जिस लड़के से उसकी शादी हुई उसकी माँ के तेवर यानि सास के तेवर ससुराल में चढ़े हुए रहते थे। लड़की ने बड़े आदर से अपनी सास के पैर छुए और हमेशा “माँ जी” के सम्बोधन से पुकारती। रात में पैर दबाती और कहती कि तुम ही मेरी असली माँ हो, मैं तुम्हारी बेटी हूँ। वह मेरी माँ तो केवल जन्म देने वाली माँ थी। लेकिन अब मेरी परवरिश तो आप ही करोगी। आपके अलावा मेरी खोज-खबर लेने वाला दूसरा कौन है? मेरी जिन्दगी तो आपके अधीन है। मैं कच्ची मिट्टी की तरह से हूँ। तुम जैसा चाहो. जिस साँचे में ढाल दो। उसी में ढल जाऊँगी। उसने अपने मीठे सम्मानजनक शब्दों से सास का दिल जीत लिया उसके इस व्यवहार ने सास के स्वभाव को बदल दिया। वही सास, जिसकी चर्चा पूरे गाँव, क्षेत्र में, घर-घर में लड़ाका, खराब सास के रूप में थी, अब वह हर समय उसी बेटी । स्वरूप मिली उपहार के भूख-प्यास की फिकर करने लगी। वह भी कहती कि तू मेरी सच्ची बेटी है। “रामा बेटी” के नाम से पुकारने लगी। रामा बेटी तू क्या कर रही है? कुछ खाया-पिया कि नहीं ? तुम सचमुच मेरी बेटी के समान हो । हमारी इच्छा होती हैं कि तू हमारे घर की लक्ष्मी हो, तुम ॥ हमेशा हमारी नजरों के सामने रहा करो। कभी आँखों से दूर मत रहा करो। घर में पहले का वातावरण बिल्कुल बदल गया । .
परम पूज्य स्वामी बाबा जयगुरुदेव जी महाराज ने यह कहानी सुनाते हुए कहा कि उस लड़की पर उसके माता-पिता के डाले हुए संस्कारों का प्रभाव था कि उसने I उसी घर में कह करके शादी की और उस लड़ाकिन सास को बदल दिया। अपने मृदु स्वभाव व मीठे वचनों से कड़वी और झगड़ालू सास के स्वभाव को एकदम परिवर्तित कर दिया। उसके बाद वह घर के सभी लोगों पर राज करने लगी। कहा गया है- “जबान शीरी, मुल्क गीरी।” बात सही भी है कि बच्चे-बच्चियों पर बारह साल तक जो ! संस्कार अपने माता-पिता के पड़ जाते हैं, वह अमिट हो जाते हैं। अब कहीं कुछ नहीं। हर माँ-बाप को अपने बच्चों । पर अच्छे संस्कार डालना चाहिए। बाद में लोग आते हैं कि अब बताइये कि हम क्या करें? लड़की ने ऐसा कह दिया, उसकी सास ने ऐसा कह दिया और उसने जहर खा लिया। अब बताइए स्वामी जी क्या होगा? तो ऐसी नौबत ही क्यों आने दो ? और जब सास भी गरम और तुम्हारी बेटी भी गरम तो यह तो होना ही है। दोनों में से एक को तो नरम होना ही चाहिए। यह बात सबको याद रखना चाहिए। यह याद करने के लिए ही सुनाया जाता है। -संकलित
यहाँ सर दे के होते हैं सजदे, आशिकी इतनी सस्ती नहीं है ।।