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अँखियाँ बरस रहीं दिन रात।
अँखियाँ बरस रहीं दिन रात । भूख न प्यास नींद नहिं आवै, सूख गये सब गात ।। अँखियाँ.. 1 सतगुरु सगे और सब बैरी, दुनिया मारै लात ।। अँखियाँ.. 2 पानी के बुल्ले सा बिनसै,
यह मानुष की जात ।। अँखियाँ.. 3 “बाबू” तड़प रहा दरशन को, कब होगी मुलाकात।। अँखियाँ.. 4
जयगुरुदेव करो मत देरी
जयगुरुदेव करो मत देरी ।
सब रिश्ते नाते भै झूठे,
बस आशा है तेरी ।। जयगुरुदेव.. 1
दरशन देकर ठण्डा कर दो,
जली आग की ढेरी ।। जयगुरुदेव.. 2
सुरत जोड़ दो नाम डोर से,
कटे काल की बेड़ी।। जयगुरुदेव ..3 “बाबू” आश लगाये बैठा,
बज न जाय रणभेरी।। जयगुरुदेव.. 4

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