मैं सन् 75 के पहले से कह रहा हूँ, ऐसी बीमारियाँ फैलेंगी, जिन्हें कोई समझ भी नहीं पायेगा । ॥ एक रुपये की दवा सौ रुपये में बिक जायेगी और सौ की दवा हजार में मिलेगी। फिर भी दवा नहीं मिल पायेगी और दवा से कोई लाभ नहीं होगा। यह जो बीमारी चली है (इनसेफलाइटिस) यह तो बीमारी एक नोटिस है कुदरत की। सम्हल जाओ, बुरे कामों को । सम्हल जाओ, बुरे कामों को छोड़ दो। वरना बीमारी आने पर तो एक साथ करोड़ों ठण्डे हो जायेंगे।
मैं आपको बीमारी की दवा बताऊँगा। जिसको यह बीमारी हो जाये उसके माथे पर लिख दीजिए। ‘जयगुरुदेव सतयुग आयेगा। मैं स्वागत के लिए तैयार हूँ। 1 बीघे में सौ मन धान व गेहूँ होगा। बाबा जी ने कहा।’ और इसके बाद तुलसी की पत्ती (स्वामी नाम पत्ती) लो और पाव भर पानी में उबालो। जब तीन छँटाक पानी जल जाय, एक छँटाक रह जाए, गाढ़ा काढ़ा हो जाए, उसको चार बार दिन में पिलाओ। दो दिन में बीमारी खत्म हो जायेगी। फिर माँस, मछली, अण्डा खाना छोड़ देना ।
बीमारी सब्जियों से नहीं जो लोग यह कहते हैं कि यह बीमारी मूली, साग या सब्जियों से शुरू हुई, यह गलत है। यह बीमारी माँस, मछली, अण्डे खाने से शुरू होती है।
मैं न हिन्दू, न मुसलमान, न ईसाई
मैं न हिन्दू, हूँ, न मुसलमान हूँ, न ईसाई हूँ। मैं एक आदमी हूँ। मुहम्मद भी मुसलमान नहीं थे। उनके बाद लोगों ने मुसल्लम ईमान मुसलमान नाम रखा। वही हाल ईसा मसीह का था। उनके बाद लोग ईसाई ॥ कहलाये । भूख से मौत नहीं पिछले 18 महीनों में भारत में भूख से कोई मौतें नहीं हुईं। उसके बाद रेडियो, अखबार पर आता था कि इतने आदमी भूख से मर गये। मैंने भगवान से प्रार्थना की कि आपके पास हजारों ॥ भुजायें हैं। आप जिधर से चाहें सजा दे सकते हैं परन्तु भूख से कोई न मरे। उसने आदेश दिया अयोध्या में सरयू के किनारे यज्ञ करो। मैंने लाखों को जुटाया और यज्ञ का फल है कि गन्ना, चावल भारत में इतना हुआ कि 50 वर्षों में कभी नहीं । हुआ था । दूसरा स्वप्न मुझे दूसरा स्वप्न हुआ कि अहमदाबाद के मध्य भाग साबरमती में 33 करोड़ देवताओं को भोजन कराओ। इससे आपने देखा कि गेहूँ । की फसल कितनी अच्छी हुई। आपके कर्मानुसार बाढ़ आदि का प्रकोप तो होता ही रहेगा। परन्तु ॥ इतनी बाढ़ देश में आयी, अन्न की कोई कमी नहीं। देवता चारों ओर पहरे पर लगे हुए हैं। आवाहन शिव जी का मुझे काशी विश्वनाथ बम भोले का स्वप्न हुआ कि काशी में आकर यज्ञ करो। मैं आपके यज्ञ में उपस्थित रहूँगा। आप लोगों से प्रार्थना है । कि सभी लोग काशी पहुँचें। यह जो धान आपका खड़ा है किसानों ! तुम काशी चलो। 15 मन बीघा । होने वाला है तो मैं बीस मन दे दूँगा। काशी का । खर्च उससे जो बच जाय, बच्चों को कपड़ा सिला देना। व्यापारियों ! तुम महीने में एक हजार कमाते । हो तो तुम्हें 2 हजार दूँगा। एक हजार में घर का खर्च चलाना, एक हजार में काशी की तैयारी
करना ।
मन की भागदौड़ तभी बन्द होगी, जब नाम प्रकट होगा।