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Daily Quotes
- अच्छे संस्कार कोई एम. ए., बी. ए. की डिग्री लेने से, या कोई डिप्लोमा करने से नहीं पड़ते हैं।
- अवतारी शक्तियाँ कर्मों की सजा देती हैं।
- आम जनमानस में चर्चा के विषय होते हैं, जिनसे उनकी दया-कृपा का आभास मिलता है।
- आवागमन का कोई बन्धन नहीं था। समय पूरा हुआ तो ध्यान विधि से। उस सत्तपुरुष के पास वापस चले जाते थे।
- इन्द्रियाँ विकारों की तरफ से हट जायेंगी, तभी मन शब्द अर्थात् अपने बिन्दु पर ठहरेगी।
- कलियुग केवल हरिगुन गाहा, गावत नर पावहिं भव थाहा ।।
- दूब की तरह छोटे बन जाओ, कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता।
- देवी-देवता मानव-तन पाने के लिए तरसते रहते हैं।
- देवी-देवता मानव-तन पाने के लिए तरसते रहते हैं।
- धर्म का बोलबाला खत्म हो गया, अधर्म का फैलाव ज्यादा हो गया।
- धाम अपने चलो भाई, पराये देश क्यों रहना।
- पचो मत आय इस जग में, जानियो रैन का सुपना।।
- पहले यह सुरत-शब्द योग (नामयोग) मार्ग बिल्कुल गुप्त था। नामदान पाने के लिए कठिन सेवा – कसौटियों से गुजरना पड़ता था ।
- बड़ा भारी दुःख होता है। बिना गुरु के यह गति पाई जाती है।
- मन की भागदौड़ तभी बन्द होगी, जब नाम प्रकट होगा।
- मनुष्य चाहता क्या है? वह चाहता है धन दौलत, महल, हवेली, साजो-सामान, नाचरंग की। महफिलें, ऐश और आराम का जीवन।
- यहाँ सर दे के होते हैं सजदे, आशिकी इतनी सस्ती नहीं है ।।
- ये मुहब्बत की है बात जाहिद, बन्दगी तेरे वश की नहीं है।
- वक्त बड़ा खराब है। बड़े-बड़े लोग धीरज तोड़ देंगे। तुम अपने विश्वास को बनाये रखो।
- हमारे दिमाग में बहुत से नियम हैं। अगर सब बता दूँ तो सब लोग नकल करने लग जायेंगे कुछ तो अभी से नकल करने की तैयारी में हैं।
Satsang
- अच्छे संस्कार कोई एम. ए., बी. ए. की डिग्री लेने से, या कोई डिप्लोमा करने से नहीं पड़ते हैं।
- आम जनमानस में चर्चा के विषय होते हैं, जिनसे उनकी दया-कृपा का आभास मिलता है।
- आवागमन का कोई बन्धन नहीं था। समय पूरा हुआ तो ध्यान विधि से। उस सत्तपुरुष के पास वापस चले जाते थे।
- कलियुग केवल हरिगुन गाहा, गावत नर पावहिं भव थाहा ।।
- गुरु-वन्दना
- दीनता प्रभु को प्यारी है। अहंकार काल का भोजन है।
- देवी-देवता मानव-तन पाने के लिए तरसते रहते हैं।
- देवी-देवता मानव-तन पाने के लिए तरसते रहते हैं।
- धाम अपने चलो भाई, पराये देश क्यों रहना।
- पचो मत आय इस जग में, जानियो रैन का सुपना।।
- परमात्मा मनुष्य शरीर में ही मिल सकता है, और शरीरों में नहीं।
- पहले यह सुरत-शब्द योग (नामयोग) मार्ग बिल्कुल गुप्त था। नामदान पाने के लिए कठिन सेवा – कसौटियों से गुजरना पड़ता था ।
- बाबा जयगुरूदेव की गूँजती वाणियाँ
- भजन करो भगवान का, प्यारे तीनोंजून
- मन की भागदौड़ तभी बन्द होगी, जब नाम प्रकट होगा।
- मनुष्य चाहता क्या है? वह चाहता है धन दौलत, महल, हवेली, साजो-सामान, नाचरंग की। महफिलें, ऐश और आराम का जीवन।
- महाप्रभ नामक विख्यात नर्क बहुत ऊँचा है।
- यहाँ सर दे के होते हैं सजदे, आशिकी इतनी सस्ती नहीं है ।।
- ये मुहब्बत की है बात जाहिद, बन्दगी तेरे वश की नहीं है।
- वक्त बड़ा खराब है। बड़े-बड़े लोग धीरज तोड़ देंगे। तुम अपने विश्वास को बनाये रखो।
- हमारे दिमाग में बहुत से नियम हैं। अगर सब बता दूँ तो सब लोग नकल करने लग जायेंगे कुछ तो अभी से नकल करने की तैयारी में हैं।